30 महीनों से जारी संघर्ष को मिली नई ताकत: चंडीगढ़ में धार्मिक हस्तिया ,और किसान एकजुट
चंडीगढ़ के किसान भवन में आज एक महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें धार्मिक हस्तियों, किसान यूनियनों, मजदूर संगठनों, व्यापारिक व पंथक जत्थेबंदियों ने मिलकर क़ौमी इंसाफ़ मोर्चा के समर्थन में अपनी एकजुटता दिखाई। यह मोर्चा बीते 30 महीनों से पंजाब में बेअदबी और गोलीकांड मामलों में न्याय की मांग को लेकर संघर्ष कर रहा है।
बैठक में पूर्व अकाल तख्त जत्थेदार प्रा. मंजीत सिंह, बाबा सेवा सिंह रामपुर खेड़ा, बाबा गुरसेवक सिंह शीहणी साहिब, बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ. दर्शन पाल, सुरजीत सिंह फूल, जसबीर सिंह सिद्धूपुर, सुख गिल मोगा समेत पंजाब भर की प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं। उन्होंने पंजाब सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह न केवल दोषियों को बचा रही है, बल्कि झूठ बोलकर केंद्र सरकार पर सारा दोष डाल रही है।
बैठक में मुख्य मांगें रखी गईं—श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के दोषियों को सज़ा दिलाने के लिए सख्त कानून बनाया जाए, सजाएं पूरी कर चुके बंदी सिंहों को रिहा किया जाए और बहिबल-कोटकपूरा गोलीकांड के दोषियों को सज़ा मिले।
आरोप लगाए गए कि पंजाब सरकार उच्च अदालतों और केंद्र को बंदी सिंहों की रिहाई के विरोध में रिपोर्ट भेज रही है और खुद अपनी जांच रिपोर्टें लागू नहीं कर रही।
मोर्चा नेताओं ने ऐलान किया कि 15 मई को पंजाब की सभी तहसीलों में रोष मार्च निकाले जाएंगे और एसडीएम के ज़रिए राज्यपाल व राष्ट्रपति को चेतावनी पत्र भेजे जाएंगे। ये मार्च गुरुद्वारों से शुरू होंगे और सरकार को बताया जाएगा कि जनभावनाओं की अनदेखी अब सहन नहीं की जाएगी।
बैठक में हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा किसान नेताओं को मीटिंग में बुलाकर गिरफ्तारी करने की घटना की भी तीखी निंदा की गई और इसे धोखा और लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन बताया गया।साथ ही, पाकिस्तान से व्यापार की तर्ज़ पर पंजाब से लगते व्यापारिक रास्ते खोलने की भी मांग रखी गई।
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बैठक में सैकड़ों की संख्या में प्रतिनिधि और नेता मौजूद रहे, जिन्होंने सरकार को कड़ा संदेश दिया कि अब चुप नहीं बैठा जाएगा, और क़ौमी इंसाफ़ की लड़ाई और तेज़ की जाएगी।