कैसी है इंटरनेट की यह काली दुनिया जहां बिक रहा भारत समेत 4 देशों की सेना का डाटा…

कैसी है इंटरनेट की यह काली दुनिया जहां बिक रहा भारत समेत 4 देशों की सेना का डाटा…

Rajasthan youth held for selling govt and army data

 Rajasthan youth held for selling govt and army data

आपने हाल ही में एक खबर पढ़ी होगी कि राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के श्रीकरणपुर से 1 बीए सेकेंड ईयर के छात्र को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी छात्र पर भारत सरकार भारतीय सेना बड़े बैंकों और चार देशों की सेना का संवेदनशील डाटा डार्क वेब पर बेच रहा था। पुलिस की गिरफ्त में आयायह छात्र डाटा की बिक्री क्रिप्टो करेंसी में करता था। आपको जानकर हैरानी होगी कि पुलिस को उसके पास से 4,500 जीबी डाटा मिला है। पुलिस को दिए बयान के मुताबिक आरोपी ऑनलाइन गेमिंग का शौकीन है और यूट्यूब से उसने डार्क वेब के गुर सीखे थे।

अब यहां एक शब्द सामने आ रहा है डार्क वेब, जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है। आइए जरा समझने की कोशिश करते है कि आखिर यह डार्क वेब क्या है और यहां क्या-क्या होता है जिसकी भनक किसी को नहीं लगती।डार्क वेब को कई लोग इंटरनेट की काली दुनिया भी कहते है। इस डार्क वेब की दुनिया में ड्रग्स, खतरनाक हथियारों का कारोबार होता है। साथ ही ऐसी भी कई चीजों की खरीद बिक्री होती है जिन्हें बेचना या खरीदना जुर्म है। इस बाजार में खरीदारी सिर्फ वर्चुअल करेंसी जैसे- बिटकॉइन के जरिए होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो इंटरनेट के इस काले बाजार में दुनिया के सभी गैरकानूनी काम खुलेआम किए जाते है।

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इंटरनेट के प्रकार-

  1. क्या है सरफेस वेब?
    सबसे पहले आपको बता दें कि आप और हम जिस दुनिया में फेसबुक, यूट्यूब और गूगल का इस्तेमाल करते हैं उसे सरफेस वेब बोला जाता है। इसके बाद डीप वेब और आखिरी में डार्क वेब का नाम आता है। सरफेस वेब की दुनिया में कोई भी इंटरनेट पर कुछ भी सर्च कर सकता है। उदाहरण के लिए इस वक्त आप अमर उजाला को अपने फोन या लैपटॉप में इंटरनेट के माध्यम से पढ़ रहे है। सरफेस वेब में आप इंटरनेट पर गैरकानूनी काम जैसे मादक पदार्थों की खरीद-बिक्री जैसे काम नहीं कर सकते।
  2. क्या है डीप वेब?
    डीप वेब एक सीक्रेट वेब है जो आम यूजर्स को नजर नहीं आता है। इसमें वे सभी वेबसाइट्स दिखती हैं जो गूगल में नजर नहीं आती है। डीप वेब में सिर्फ वही व्यक्ति पहुंच सकता है जिसके पास इसका अधिकार है। डीप वेब का इस्तेमाल प्राइवेट जानकारी को सेव करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर क्लाउड स्टोरेज के लिए इसका इस्तेमाल होता है।

अब इंटरनेट के आखिरी हिस्से डार्क वेब की बात करे तो यह इंटरनेट की दुनिया का यह सबसे खतरनाक हिस्सा है। एंटीवायरस बनाने वाली कंपनी मैकअफे के मुताबिक डार्क वेब या डीप वेब प्रत्यक्ष तौर पर दिखने वाली इंटरनेट की दुनिया से करीब 3 गुना बड़ा है। डार्क वेब का इस्तेमाल भी गैरकानूनी है। डार्क वेब में दुनिया के सभी तरह के गैरकानूनी काम बेखौफ किए जाते है। डार्क वेब का इस्तेमाल सिर्फ वे ही लोग कर सकते है, जो टॉर ब्राउजर का यूज करते है। आपको बता दें कि टॉर ब्राउजर के एक ऐसा ब्राउजर है जिसे कोई ट्रैक नहीं कर सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि आप टॉर ब्राउजर के जरिए इंटरनेट पर कोई भी काम करते हैं तो आपको कोई सरकारी एजेंसी भी ट्रैक नहीं कर सकती, क्योंकि टॉर ब्राउजर में आईपी एड्रेस लगातार बदलती रहती है और इंटरनेट की दुनिया में किसी को भी आईपी एड्रेस के जरिए ही ट्रैक किया जाता है। हालांकि, टॉर ब्राउजर पर भी कई डार्क वेब वाली वेबसाइट्स बैन है। ऐसे में हम आपको यही सलाह देंगे कि आप डार्क वेब पर ना ही जाएं, क्योंकि यह गैरकानूनी है।

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