बांग्लादेशी हिंदूओं का पक्ष लेने और मोदी का समर्थन करने पर किंग चार्ल्स ने दो भारतीयों से वापस लिया सम्मान
ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय ने ब्रिटिश भारतीय समुदाय के दो नेताओं से सम्मान वापस ले लिया है. इन दोनों ब्रिटिश भारतीय समुदाय की प्रमुख हस्तियों के नाम रामी रेंजर और हिंदू काउंसिल यूके के मैनेजिंग ट्रस्टी अनिल भनोट हैं. इनमें एक से बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए बात करने और दूसरे से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करने के लिए सम्मान छीना गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार (6 दिसंबर) को ‘लंदन गजट’ में इस बात की घोषणा की गई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि दोनों ब्रिटिश भारतीयों से अपना प्रतीक चिन्ह बकिंघम पैलेस को लौटाने को कहा जाएगा. वहीं, रामी रेंजर और अनिल भनोट ने इसकी आदेश की घोषणा की निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया है.
उल्लेखनीय है कि करोड़पति रामी रेंजर को सीबीई (कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर) और लीसेस्टर में सामुदायिक कला केंद्र संचालित करने वाले अकाउंटेंट अनिल भनोट को ओबीई (ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर) की उपाधि दी गई थी. जिनसे अब किंग चार्ल्स तृतीय ने यह सम्मान वापस मांग लिया है.
बता दें कि एक जब्ती समिति उन मामलों पर विचार करती है, जिनमें सम्मान धारक को सम्मान प्रणाली को बदना करने वाला माना जा सकता है. जब्ती समिति की सिफारिशें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के जरिए राजा को सौंपी गई है.
ओबीई सम्मान पाने वाले अनिल भनोट ने कहा, 'जनवरी में जब्ती कमेटी ने उनसे संपर्क किया था और उन्होंने अपना पक्ष रखा था.' रिपोर्ट के मुताबिक भनोट ने जानकारी दी कि इस्लामोफोबिया का आरोप लगाने वाली शिकायत 2021 में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के बारे में थी. उन्होंने कहा कि उस समय हमारे मंदिरों को नष्ट किया जा रहा था और हिंदुओं पर हमला किया जा रहा था लेकिन मीडिया ने इसकी कवरेज नहीं की. मुझे लगा कि कुछ कहना चाहिए. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया और न ही मैंने सम्मान प्रणाली को बदनाम किया है. उन्होंने आगे कहा कि इंग्लैंड में अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अतीत की बात हो गई है. मैं इससे काफी परेशान हूं. क्योंकि यह एक सम्मान है, मुझे नहीं लगता कि उन्होंने मेरी दलील पर बिल्कुल भी ध्यान दिया.
कंजर्वेटिव पार्टी के समर्थक औऱ ब्रिटेन में FMCG फर्म सन मार्क लिमिटेड के संस्थापक लॉर्ड रामी रेंजर के प्रवक्ता ने इस फैसले को अन्यायपूर्ण बताया और उन्होंने कहा कि वह इस फैसले को चुनौती देंगे. रामी रेंजर को दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने दिसंबर 2015 में ब्रिटिश व्यापार और एशियाई समुदाय के लिए की गई सेवाओं के लिए सीबीई सम्मान से सम्मानित किया था.