विजीलैंस ब्यूरो द्वारा डिवैलपर जरनैल बाजवा, सी. टी. पी. पंकज बावा, पटवारी लेख राज के विरुद्ध मुकदमा दर्ज

चंडीगढ़, 24 फरवरी पंजाब विजीलैंस ब्यूरो द्वारा बाजवा डिवैलपरज़ लिमटिड, सन्नी इनकलेव खरड़ के डायरैक्टर जरनैल सिंह बाजवा निवासी सैक्टर- 71 एस. ए. एस. नगर, चीफ़ टाऊन प्लानर पंजाब ( सी. टी. पी.) पंकज बावा निवासी मकान नं. 253, सैक्टर- 22 ए, चंडीगढ़ और राजस्व पटवारी लेख राज (अब सेवामुक्त) निवासी मकान नंबर 55, सैक्टर- […]

चंडीगढ़, 24 फरवरी

पंजाब विजीलैंस ब्यूरो द्वारा बाजवा डिवैलपरज़ लिमटिड, सन्नी इनकलेव खरड़ के डायरैक्टर जरनैल सिंह बाजवा निवासी सैक्टर- 71 एस. ए. एस. नगर, चीफ़ टाऊन प्लानर पंजाब ( सी. टी. पी.) पंकज बावा निवासी मकान नं. 253, सैक्टर- 22 ए, चंडीगढ़ और राजस्व पटवारी लेख राज (अब सेवामुक्त) निवासी मकान नंबर 55, सैक्टर- 118, टी. डी. आई. एस. ए. एस. नगर के विरुद्ध ग़ैर- कानूनी तौर पर हाउसिंग प्रोजैक्ट पास करने और अपेक्षित फीस जमा न कराने के दोष अधीन मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले में सी. टी. पी. पंजाब पंकज बावा को गिरफ़्तार कर लिया गया है। 

इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये आज यहाँ राज्य विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि एक शिकायत की जांच के दौरान पाया गया कि मैसर्ज बाजवा डिवैलपरज़ लिमटिड ने ज़िला मोहाली के गाँव सिंहपुर, हसनपुर और जंडपुर की 179 एकड़ ज़मीन में राज्य सरकार से रिहायशी/ व्यापारिक प्रोजैक्ट पास करवाया था। अधिकारित कमेटी की तरफ से 22- 03- 2013 को लिए गए फ़ैसले अनुसार, उक्त प्रमोटर ने कैंसर राहत फंड के तौर पर प्रोजैक्ट की लागत का एक फ़ीसद या अधिकतम 1 करोड़ रुपए सरकार के पास जमा नहीं करवाए और इस सम्बन्धी पुड्डा के अधिकारियों/ कर्मचारियों ने नियमों अनुसार उक्त डिवैलपर के विरुद्ध कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई। इसके इलावा, बाजवा डिवैलपरज़ लिमटिड ने सैक्टर 120, 123, 124 और 125 में सन्नी एन्क्लेव, गाँव जंडपुर, सिंहपुर, हसनपुर में रिहायशी मेगा प्रोजैक्ट का लेआउट प्लान भी मंज़ूर करवा लिया था जिसमें 9.09 एकड़ में आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्गों ( ई. डब्ल्यू. एस.) के लिए रिहायशी योजना भी मंज़ूर करवा ली थी। इस क्षेत्रफल में से गाँव हसनपुर का 4 कनाल 17. 1/ 10 मरले और गाँव सिंहपुर का 57 कनाल 0. 1/ 2 मरले क्षेत्रफल गमाडा के नाम पर रजिस्टर्ड करवा दिया परन्तु बाजवा डिवैलपरज़ लिमटिड की तरफ से 1.32 एकड़ क्षेत्रफल की रजिस्टरी अभी भी गमाडा के नाम पर नहीं करवाई गई थी। यह भी सामने आया कि 7 साल बीत जाने के बाद भी उक्त ज़मीन का इंतकाल गमाडा के नाम पर रजिस्टर्ड नहीं करवाया गया और यह क्षेत्र अभी भी मैसर्ज बाजवा डिवैलपरज़ और डिवैलपर को सहमति देने वाले ज़मीन मालिकों की मल्कीयत के अधीन है जो बाजवा डिवैलपरज़ लिमटिड की गमाडा के अधिकारियों/ कर्मचारियों के साथ मिलीभुगत को स्पष्ट तौर पर साबित करता है। 

प्रवक्ता ने आगे बताया कि जांच के दौरान यह भी पाया गया कि सी. टी. पी. दफ्तर के अधिकारियों/ कर्मचारियों ने गाँव सिंहपुर, तहसील मोहाली के खसरा नंबर 3// 1/ 1/ 1, 4// 5/ 2, 4// 2, 4// 3/ 1, 11// 16/ 3 (शामलात ज़मीन) सम्बन्धी ज़मीन के प्रयोग में तबदीली ( सी. एल. यू.) सर्टिफिकेट पास नहीं किया था परन्तु बाजवा डिवैलपरज़ लिमटिड के डायरैक्टर जरनैल सिंह बाजवा ने समकालीन डी. टी. पी. पंकज बावा (अब सी. टी. पी.), सहायक टाऊन प्लानर रघबीर सिंह और पटवारी लेख राज (सेवामुक्त) की मिलीभुगत के साथ बिना किसी मंजूरी के लेआउट प्लान में उक्त ज़मीन की मंज़ूरी प्राप्त कर ली। इसी तरह बाजवा डिवैलपरज़ ने चीफ़ टाऊन प्लानर पंजाब के अधिकारियों/ कर्मचारियों की मिलीभुगत के साथ अलग- अलग व्यक्तियों की ज़मीन उनकी जानकारी से बिना जाली सहमति के साथ लेआउट प्लान में पास करवा ली। इसके इलावा गाँव जंडपुर की ज़मीन खसरा नं 16// 16, 16// 17 कुल क्षेत्र 2 एकड़, जो समाध पुख़्ता बाबा गुलाबदास चेला बैजलदास के नाम पर रजिस्टर्ड है, को भी जाली सहमति के आधार पर प्रोजैक्ट में शामिल किया गया था। 

बाजवा डिवैलपरज़ लिमटिड के डायरैक्टर जरनैल सिंह बाजवा ने गमाडा के समकालीन अधिकारियों की मिलीभुगत के साथ साल 2014, 2015 के दौरान सैक्टर 123 के मेगा प्रोजैक्ट में डिजाइन/ नक्शे पास करवाए बिना ही 78 के करीब कमर्शियल बूथों का निर्माण करवा दिया जिससे सरकार को करोड़ों रुपए का आर्थिक नुक्सान हुआ जो नक्शे की फीस के तौर पर भुगतान किये जाने थे। 

इस सम्बन्धी विजीलैंस ब्यूरो की तरफ से आई. पी. सी की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120-बी और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13(1) (ए) और 13(2) के अंतर्गत थाना विजीलैंस ब्यूरो, फ्लायंग स्क्वाड- 1 पंजाब, मोहाली में तारीख़ 24. 02. 2024 को मुकदमा नंबर 03 दर्ज किया गया। इसके इलावा इस मामले की जांच के दौरान गमाडा, पुड्डा, चीफ़ टाऊन प्लानर पंजाब और नगर कौंसिल खरड़ के अधिकारियों/ कर्मचारियों या निजी व्यक्तियों की भूमिका की भी जांच की जायेगी। 

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