स्पीकर संधवां द्वारा पूर्व मैंबर पार्लियामेंट और पद्म भूषण अवॉर्डी तरलोचन सिंह के जीवन पर आधारित पुस्तक जारी 

स्पीकर संधवां द्वारा पूर्व मैंबर पार्लियामेंट और पद्म भूषण अवॉर्डी तरलोचन सिंह के जीवन पर आधारित पुस्तक जारी 

चंडीगढ़, 5 जनवरी:  पंजाब विधान सभा स्पीकर स. कुलतार सिंह संधवां ने आज महात्मा गाँधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, सैक्टर-26 में डॉ. प्रभलीन सिंह द्वारा लिखी पुस्तक ‘‘स. तरलोचन सिंह-हिस्टोरिक जर्नी’’ जारी की।   पुस्तक रिलीज समारोह में बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए स. कुलतार सिंह संधवां ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि […]

चंडीगढ़, 5 जनवरी: 

पंजाब विधान सभा स्पीकर स. कुलतार सिंह संधवां ने आज महात्मा गाँधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, सैक्टर-26 में डॉ. प्रभलीन सिंह द्वारा लिखी पुस्तक ‘‘स. तरलोचन सिंह-हिस्टोरिक जर्नी’’ जारी की।  

पुस्तक रिलीज समारोह में बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए स. कुलतार सिंह संधवां ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में स. तरलोचन सिंह द्वारा अपने जीवन के संघर्ष के बारे में विस्तार सहित जानकारी दी गई है। उन्होंने बताया कि स. तरलोचन सिंह ऐसे मनुष्य हैं, जिन्होंने अपनी काबिलीयत का लोहा मनवाया है। वह समूचे संसार में सिख कौम को अद्वितीय पहचान देने वाले मनुष्य हैं। उन्होंने कहा कि हम ख़ुशनसीब हैं कि गुरसिखी सद्गुणों से भरपूर, धीरज, सहजता, सब्र, आस्था के प्रेक्षक, राजनीतिक, धार्मिक और पत्रकारिता के स्तम्भ, पंजाबी जगत की प्रसिद्ध शख्सियत पद्म भूषण अवॉर्डी सरदार तरलोचन सिंह की मौजूदगी का आनंद ले रहे हैं।  

स. संधवां ने कहा कि स. तरलोचन सिंह की अथक मेहनत, लम्बे संघर्ष और जीवन की अनगिनत सफल उपलब्धियों का लम्बा इतिहास है। स. तरलोचन सिंह जैसी अद्वितीय शख्सियत के जीवन को एक किताब में समेटना नामुमकिन है, परन्तु मैं इस पुस्तक के रचयिता डॉ. प्रभलीन सिंह की हिम्मत की दाद देता हूँ, जिन्होंने इस मुश्किल काम को एक सफल अंजाम तक पहुँचाया और हमें सरदार तरलोचन सिंह के जीवन के अनगिनत पहलुओं से रूबरू करवाया।  

जि़क्रयोग्य है कि स. तरलोचन सिंह भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह के 1983 से 1987 तक प्रैस सचिव, राष्ट्रीय-कम-गणना आयोग के चेयरमैन और साल 2005 से 2011 तक राज्य सभा के मैंबर रहे। उन्होंने संसद में 14 दिसंबर 2009 को 1984 के सिख हत्याकांड के विरुद्ध आवाज़ बुलंद की और पूरे देश में सिखों के साथ हुई बेइन्साफ़ी को जग ज़ाहिर करते हुए इन्साफ की माँग की। उनकी नज़दीकी भारत के बड़े राजनीतिज्ञों के साथ रही। ज्ञानी ज़ैल सिंह जब पंजाब के मुख्यमंत्री थे, को श्री गुरु गोबिन्द सिंह मार्ग बनाने की सलाह दी। वह पंजाब और राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग पदों पर तैनात रहे और अपनी ड्यूटी बखूबी करते हुए बेमिसाल सेवाएं दीं। उन्होंने अपनी मेहनत के स्वरूप पार्लियामेंट तक पहुँचने से लेकर दुनिया के कोने-कोने तक विभिन्न क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी।  

स. संधवां ने कहा कि डॉ. प्रभलीन सिंह इस अनूठे प्रयास में सफल होने के लिए बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में दर्ज करने के लिए स. तरलोचन सिंह के बारे में जितनी बारीकी से खोज की गई है, और जिस शिद्दत से उनके बारे में इतनी विलक्षण जानकारी एकत्रित की है, इस पुस्तक को पढक़र की गई मेहनत की केवल झलक ही नहीं, बल्कि मेहनत की महक भी आती है। उन्होंने कहा कि स. तरलोचन सिंह हालाँकि ख़ुद एक प्रसिद्ध लेखक हैं, जिन्होंने इतिहास, धर्म, प्रशासन और राजनीति से जुड़े कई गंभीर मुद्दों को कलमबद्ध कर हमारे राह पर रौशनी की, परन्तु जिस शालीनता, निरपक्षता और निस्वार्थ भाव से उन्होंने अपनी सेवाएं देश को दीं, इससे स्पष्ट होता है कि उन्होंने ख़ुद कभी भी अपनी जीवनी लिखने के बारे में नहीं सोचा होगा। 

स. संधवां ने कहा कि स. तरलोचन उन महान शख्सियतों में से हैं, जिन्होंने गुरू के सच्चे सिख होने की अद्वितीय मिसाल कायम की और अपनी तकदीर खुद लीखी। उन्होंने किस्मत के सहारे नहीं बल्कि अपने कर्मों से अपने रास्ते चुने।  

स्पीकर संधवां ने आगे कहा कि स. तरलोचन सिंह की समाज, सिखी और समूची मानवता के प्रति निभाई गई सच्ची सेवा का फल ही है, जो ईश्वर ने डॉ. प्रभलीन सिंह के हाथों स. तरलोचन सिंह की जीवन यात्रा को इस जीवनी पुस्तक में सजाकर हमारी झोली में डाला है। उन्होंने कहा कि पुस्तक को पढक़र एक और बात समझ में आती है, कि यह पुस्तक स. तरलोचन सिंह के निजी जीवन के साथ-साथ, देश के इतिहास में घटी कई महत्वपूर्ण घटनाओं और उनसे पड़े स. तरलोचन सिंह के जीवन पर प्रभाव पर भी प्रकाश डालने का अवसर देती है।  

जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री श्री सोम प्रकाश ने कहा कि स. तरलोचन सिंह ने हमेशा पंजाब और पंजाबियत के लिए आवाज़ बुलंद की। उन्होंने कहा कि यह किताब आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणा स्रोत साबित होगी।  

इस अवसर पर बोलते हुए स. तरलोचन सिंह ने कहा कि विभाजन के समय बेघर होने के बाद उन्होंने अपने परिवार का गुज़ारा चलाने के लिए डेढ़ साल पटियाला में बाल मज़दूरी का सहारा लिया और अपनी कमाई का एक हिस्सा खालसा स्कूल में दाखि़ले के लिए बचाया। 1949 में, उन्होंने दसवीं पास की और बाद में 1955 में अर्थशास्त्र में एम.ए. की। 

डॉ. सरबजिन्दर सिंह डीन फेकल्टी गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर, प्रो. करमजीत सिंह वाइस चांसलर जगत गुरू नानक देव पंजाब स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी, पटियाला, श्री सन्दीप गोश संपादक आउटलुक स. सुरेश कुमार आई.ए.एस. (सेवानिवृत्त), स. रुपिन्दर सिंह सीनियर एसोसिएट एडीटर (सेवानिवृत्त) की ट्रिब्यून और लेखक डॉ. प्रभलीन सिंह ने भी स. तरलोचन सिंह के जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर प्रकाश डाला और उनको सिख धर्म का विश्वकोष करार दिया।  

इस अवसर पर अन्यों के अलावा सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. एस.पी. सिंह ओबराए, राजनीतिज्ञ स. बलवंत सिंह रामूवालिया, पूर्व वित्त मंत्री स. परमिन्दर सिंह ढींडसा, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर स. सतनाम सिंह संधू, पूर्व विधायक स. कंवर संधू और अन्य विभिन्न शख्सियतें उपस्थित थीं।  

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