आतंकवाद के दौरान 1984 से 95 के बीच 6733 मौत; सीबीआई को हाईकोर्ट का मिला नोटिस

आतंकवाद के दौरान 1984 से 95 के बीच 6733 मौत; सीबीआई को हाईकोर्ट का मिला नोटिस

Punjab and haryana high court issued notice to CBI

 Punjab and haryana high court issued notice to CBI

पंजाब में आतंकवाद के दौर में 1984 से 1995 के बीच मुठभेड़ हत्याओं, हिरासत में मौत और शवों के अवैध दाह संस्कार के 6733 मामलों की जांच रिटायर हाईकोर्ट जज, सीबीआई या उच्च अधिकारियों की एसआईटी को सौंपने की जनहित याचिका में मांग की गई है। याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई, पंजाब सरकार व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

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जिन्हें फांसी की सजा मिली थी उन्हें परिजनों को सूचित किए बगैर फांसी दे दी गई और शव को परिजनों को सौंपने के स्थान पर खुद ही अंतिम संस्कार कर दिया। याची ने कहा कि इन हत्याओं की एक स्वतंत्र और प्रभावी जांच होनी चाहिए और लीपापोती में शामिल अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए। खालरा ने एक प्रेस नोट में सार्वजनिक रूप से खुलासा किया था कि उन्होंने अमृतसर, तरनतारन और मजीठा में तीन श्मशानों से 2000 से अधिक अवैध दाह संस्कार के सबूत एकत्र किए थे। तब सुप्रीम कोर्ट ने दाह-संस्कार के तीन मामलों तक सुनवाई सीमित कर दी थी और बाकी मामले कार्रवाई के दायरे से बाहर हो गए थे।इस मामले में जांच सीबीआई को सौंपी गई थी और गुप्त दाह संस्कार से लगभग 1528 व्यक्तियों की पहचान हुई थी। याची ने दावा किया कि उन्होंने जानकारी जुटाने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई है और 3 श्मशान घाटों के बाहर अवैध दाह-संस्कार के आंकड़ों को शामिल किया है। इसके साथ ही पंजाब के 26 जिलों व ब्लॉक से जानकारी ली गई है। याची संस्था की ओर से बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने 1996 में अपनी रिपोर्ट पेश कर बताया था कि 1984 से लेकर 1994 के बीच सिर्फ तरनतारन और अमृतसर के श्मशान घाटों में ही अवैध तरीके से 984 लोगों का संस्कार किया गया था। इस मामले में महज दो प्रतिशत पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को ही दोषी करार दिया गया है।

Punjab and haryana high court issued notice to CBI

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