हर खेत तक नहरी पानी पहुँचाने के लिए चेतन सिंह जौड़ामाजरा द्वारा विधायकों के साथ सम्पर्क मुहिम
चंडीगढ़, 10 जनवरीः भूजल पर निर्भरता घटाकर राज्य के हर खेत को सिंचाई के लिए नहरी पानी पहुँचाने के लिए पंजाब के जल स्रोत और भूमि एवं जल संरक्षण मंत्री स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा द्वारा राज्य के अलग-अलग जिलों के दौरे किये जा रहे हैं। इस मुहिम के अंतर्गत स. जौड़ामाजरा स्थानीय विधायकों, ज़िला प्रशासन […]
चंडीगढ़, 10 जनवरीः
भूजल पर निर्भरता घटाकर राज्य के हर खेत को सिंचाई के लिए नहरी पानी पहुँचाने के लिए पंजाब के जल स्रोत और भूमि एवं जल संरक्षण मंत्री स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा द्वारा राज्य के अलग-अलग जिलों के दौरे किये जा रहे हैं। इस मुहिम के अंतर्गत स. जौड़ामाजरा स्थानीय विधायकों, ज़िला प्रशासन और सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों से ज़मीनी स्तर की हकीकत से अवगत हो रहे हैं और तुरंत उन मुश्किलों का हल कर रहे हैं।
स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा द्वारा जल स्रोत विभाग का कार्यभार सँभालने के बाद पिछले दिनों से पटियाला, लुधियाना, मोगा और अमृतसर में विभिन्न हलकों के विधायकों के साथ मीटिंग की जा चुकी है।
कैबिनेट मंत्री ने इस बात पर ख़ास ज़ोर दिया है कि पानी की कमी और मारुथलीकरण के रुझान, जिसकी अगले 20- 25 सालों के दौरान संभावना है, को रोकने के लिए हमें तुरंत कम पानी वाली फसलों और स्मार्ट सिंचाई तकनीकें अपनाने की ज़रूरत है ताकि हम और हमारी आने वाली पीढ़ियां पानी के संकट से बच सकें। उन्होंने बताया कि राज्य के 150 ब्लॉकों में से 117 ब्लॉक पहले ही अति शोषित श्रेणी के अधीन आते हैं, जिसका मतलब राज्य के 80 प्रतिशत क्षेत्र में भूजल की स्थिति चिंताजनक है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार भूजल को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाने के निरंतर प्रयास कर रही है जबकि पिछली सरकारें इस गंभीर मुद्दे पर टालमटोल वाला रवैया अपनाती रही हैं जिस कारण नहरी पानी का सारा ढांचा लगभग तबाह हो गया था। उन्होंने कहा कि मान सरकार नहरी ढांचे को इस खरीफ सीज़न के दौरान पूरी तरह पटरी पर लाकर हरेक खेत तक नहरी पानी पहुंचायेगी।
स. जौड़ामाजरा ने अधिकारियों को स्पष्ट आदेश दिए हैं कि नहरी पानी का अधिक से अधिक प्रयोग करके ही राज्य में भूजल का प्रयोग घटाया जा सकता है।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 20 हज़ार हेक्टेयर खेती क्षेत्रफल को ट्रीटड पानी की सिंचाई सुविधा के साथ जोड़ने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य के भूजल के गिरते स्तर को रोकने के लिए ऐसे वैकल्पिक सिंचाई जल स्रोतों को विकसित करने और नहरी पानी के अधिक से अधिक प्रयोग करना लाज़िमी है। उन्होंने बताया कि राज्य में इस समय सिंचाई के लिए 320 एम. एल. डी. ट्रीटिड पानी का प्रयोग हो रहा है जिसको चालू वित्तीय साल के अंत तक दोगुना कर कर 600 एम. एल. डी कर दिया जायेगा, जिससे 20,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल को सिंचाई सुविधा मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से ट्रीट किये पानी के प्रयोग से न केवल सरकार की पानी बचाने की मुहिम को बल मिलेगा, बल्कि ट्रीट किये पानी में पौष्टिक तत्वों की मौजूदगी के साथ खाद का कम प्रयोग होगा जिससे किसानों की आमदन में विस्तार होगा।
जल स्रोत मंत्री द्वारा अधिकारियों को हिदायत की गई है कि नहरी विभाग के खालों पर हुए नाजायज कब्ज़े भी खाली करवाए जाएँ ताकि किसानों को नहरी पानी मिल सके। उन्होंने किसानों को भी अपील की कि वह जल स्रोत, भू और जल संरक्षण विभाग द्वारा पिछले समय के दौरान निकाले गए खालों से नाजायज कब्ज़े खुद ही छोड़ दें क्योंकि इन खालों के जरिए उनके ही खेतों को पानी मिलेगा जिससे उनको बहुत लाभ होगा।
मंत्री ने बताया कि नालों और खालों की सफ़ाई के लिए सरकार ने 10 बड़ी मशीनों की खरीद की है जिससे ख़र्च में 60 प्रतिशत बचत हुई है और काम भी बढ़िया होने लगा है। उन्होंने कहा कि अगर और ज़रूरत महसूस हुई तो और मशीनरी ख़रीदी जायेगी।
उन्होंने अधिकारियों को कहा है कि खालों और ड्रेनों की सफ़ाई और चल रहे प्रोजेक्टों को समयबद्ध ढंग से पूरा किया जाये। उन्होंने कहा कि गेहूँ की फ़सल काटने से तुरंत बाद हरेक ड्रेन की निशानदेही करवाई जाये।