अंबाला में सरबजोत सिंह का ग्रैंड वेलकम
शूटर बोले- जो कमियां रहीं, उनको दूर करेंगे
पेरिस ओलिंपिक में मिक्स शूटिंग इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले अंबाला के सरबजोत सिंह को हरियाणा सरकार ढ़ाई करोड़ रुपए देगी। इसके अलावा उसे सरकारी नौकरी भी मिलेगी। इसकी घोषणा हरियाणा के खेल राज्य मंत्री संजय सिंह ने की। वे बुधवार को अंबाला में सरबजोत के घर पहुंचे हुए थे।
यहां उन्होंने कहा कि सरबजोत को सरकार की खेल नीति के हिसाब से बैनिफिट दिए जाएंगे। इसके अलावा उन्होंने सरबजोत के माता-पिता की भी सराहना की कि उनके समय और आर्थिक सपोर्ट की वजह से सरबजोत ने पूरे देश का नाम रोशन किया।
वहीं एक ओलिंपिक में 2 मेडल जीतकर इतिहास रचने वाली झज्जर की शूटर मनु भाकर के लिए अभी सरकार की तरफ से कोई घोषणा नहीं की गई है। सरबजोत ने 10 मीटर पिस्टल शूटिंग इवेंट में मनु भाकर के साथ ही ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
हालांकि हरियाणा सरकार की खेल नीति ब्रॉन्ज मेडलिस्ट को ढ़ाई करोड़ रुपए देती है। मगर, मनु ने 2 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं, ऐसे में उन्हें ढ़ाई करोड़ रुपए मिलेंगे या 5 करोड़, इसको लेकर सरकार ने कुछ नहीं कहा है।अंबाला पहुंचे खेल राज्य मंत्री संजय सिंह ने सरबजोत के पिता जतिंदर सिंह की फोन पर CM नायब सैनी से भी बात कराई। सीएम ने सरबजोत के परिवार को बधाई दी। सरबजोत के पिता ने मुख्यमंत्री को अंबाला से पहला मुख्यमंत्री होने की बधाई भी दी।वहीं सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी घर पहुंच परिवार को सम्मान देते हुए बधाई दी।
सरबजोत सिंह अंबाला के गांव धीन के साधारण परिवार से है। उनके पिता जतिंदर सिंह किसान और माता हरदीप कौर गृहिणी है। सरबजोत ने चंडीगढ़ के DAV कॉलेज से पढ़ाई की है। पहले ही ओलिंपिक मुकाबले में ब्रॉन्ज मेडल दिलाने वाले सरबजोत ने किराए की शूटिंग रेंज में प्रैक्टिस की।
उनके पिता का कहना है कि वे पेरिस ओलिंपिक नहीं गए। इसकी वजह ये है कि उनका बेटा उन्हें देखकर भावुक हो जाता है। ओलिंपिक में उसकी हिम्मत न टूटे, इसके लिए उन्होंने उसके साथ न जाने का फैसला लिया।
परिवार के मुताबिक सरबजोत फुटबॉलर बननाा चाहता था। 13 साल की उम्र में उसकी फुटबॉल में खूब दिलचस्पी थी। हालांकि एक बार स्कूल के समर कैंप में उसने कुछ बच्चों को एयरगन चलाते देखा। साल 2014 में सरबजोत ने पिता के पास आकर बताया कि वह शूटिंग करना चाहता है। चूंकि शूटिंग काफी महंगी गेम है, इसलिए पिता ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन सरबजोत की जिद के चलते उन्होंने इसके लिए हामी भर दी।