कंगना रनोट की फिल्म इमरजेंसी का विरोध:एसजीपीसी कर चुका बैन की मांग
कंगना रनोट की विवादित फिल्म ‘इमरजेंसी’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। एसजीपीसी के विरोध के बाद भी पंजाब के हर शहर में 5 से 10 शो फिल्म के दिखाए जा रहे हैं। इस फिल्म पर लंबे समय से विवाद चल रहा है, खासकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने फिल्म के कथित तौर पर ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है।
एसजीपीसी के आह्वान के बाद आज सिख संगठनों ने PVR सिनेमा के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने बीते दिन गुरुवार इस फिल्म को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र में मांग की थी कि ‘इमरजेंसी’ को पंजाब में बैन किया जाए। धामी ने कहा था कि फिल्म में 1975 के आपातकाल के दौरान सिख समुदाय और उनके संघर्ष को जिस तरीके से चित्रित किया गया है, वह ऐतिहासिक तथ्यों से मेल नहीं खाता और सिखों की छवि को गलत ढंग से प्रस्तुत करता है।
धामी ने यह भी आरोप लगाया कि फिल्म में सिखों को उनके बलिदान और ऐतिहासिक योगदान को नज़रअंदाज़ करते हुए एक नकारात्मक रोशनी में दिखाया गया है। उन्होंने सरकार से अपील की थी कि सिख समुदाय की भावनाओं का सम्मान किया जाए और इस फिल्म को पंजाब में रिलीज होने से रोका जाए।
कंगना रनोट ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उनकी फिल्म में सिख समुदाय के प्रति किसी भी तरह की अपमानजनक बात नहीं कही गई है। उन्होंने दावा किया कि ‘इमरजेंसी’ ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश में लगे आपातकाल के दौरान की सच्चाई को दिखाने का प्रयास किया गया है।
फिल्म के पहले रिलीज किए गए ट्रेलर में पंजाब के आतंकवाद के दौर के साथ-साथ बंगलादेश आजादी के दौर को भी दिखाया गया था। जिसके चलते ये फिल्म बंगलादेश में बैन हो चुकी है। ताजा रिलीज ट्रेलर में आतंकवाद, ब्लू स्टार ऑपरेशन और जरनैल सिंह भिंडरांवाला के बारे में कोई सीन नहीं दिखाया गया। इसके बावजूद एसजीपीसी ने फिल्म को बैन करने की मांग रखी। जिसमें कहा गया कि फिल्म रिलीज से पहले उसे किसी भी धार्मिक संस्था से पास नहीं करवाया गया।