पूर्व CM के हत्यारे राजोआना को SC से नहीं राहत , सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति को भेजी फाइल
पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की तरफ से दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये मुद्दा राष्ट्रपति के समक्ष रखने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत के राष्ट्रपति के सचिव को आदेश दिया है कि वे मौत की सजा पाने वाले बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका का मामला राष्ट्रपति के समक्ष रखा जाए। जिस पर दो सप्ताह के भीतर विचार करने का भी अनुरोध किया गया है। मामले में अब 5 दिसंबर को फैसला आ सकता है।
बता दें कि इससे पहले केस में दो सप्ताह पहले सुनवाई हुई थी। जस्टिस बीआर गवई, प्रशांत कुमार मिश्रा और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा था कि वे मामले की सुनवाई के बाद ही राहत पर विचार करेंगे। राजोआना को 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी।
आज यानी 18 नवंबर को हुई इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर फैसला लिया है। पिछली सुनवाई लेकर आज की सुनवाई तक केंद्र सरकार की तरफ से जवाब दाखिल किया गया है। जिसके बाद ये फैसला लिया गया। राजोआना ने याचिका में मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की जा रही है। याचिका में दलील दी था कि भारत सरकार ने उसकी दया याचिका में फैसला लेने में काफी देर की है। वह करीब 29 साल से जेल में बंद है।
बता दें कि राजोआना के सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने दया याचिका पर फैसला करने में देरी को चौंकाने वाला बताया था। उन्होंने कहा था कि यह व्यक्ति आज तक 29 वर्षों से लगातार हिरासत में है। मूल रूप से उसे 1996 में बम विस्फोट के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था।
रोहतगी की बात पूरी होने से पहले न्यायमूर्ति गवई ने पंजाब के वकील से पूछा था कि क्या जारी किए गए नोटिस के खिलाफ कोई जवाब दाखिल किया गया है। वकील ने जवाब दिया था कि वे छुट्टी के कारण रिपोर्ट दाखिल नहीं कर सकते। इस पर गवई ने कहा कि न्यायालय पंजाब राज्य को जवाब दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय देने को तैयार है।
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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह का कत्ल 31 अगस्त 1995 को कर दिया गया था। बलवंत सिंह राजोआना के बयान के अनुसार, उसने और पंजाब पुलिस मुलाजिम दिलावर सिंह ने बेअंत सिंह को ह्यूमन बम से उड़ा दिया था। दिलावर सिंह ने ह्यूमन बम बनकर बेअंत सिंह पर हमला किया था। साजिश इस तरह रची गई थी कि अगर दिलावर फेल हो जाता तो राजोआना की तरफ से हमला किया जाना था। कोर्ट ने राजोआना को फांसी की सजा सुनाई थी।