नवंबर में गर्मी बनी किसानों के लिए सिरदर्द, गेहूं की बुआई हो सकती है प्रभावित

नवंबर में गर्मी बनी किसानों के लिए सिरदर्द, गेहूं की बुआई हो सकती है प्रभावित

चंडीगढ़। नवंबर महीना शुरू हो चुका है, लेकिन अभी भी दिन का तापमान 32 के करीब चल रहा है। यह गेहूं के बुआई करने वाले किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है, क्योंकि उनकी बुआई दिन ब दिन लेट होती जा रही है। दूसरी ओर बहुत से ऐसे किसान भी हैं, जिनकी धान की फसल अभी बिकी नहीं है। उनके खेत भी अभी तक खाली नहीं हुए हैं।

 

Wheat in Punjab
जिन खेतों में कटाई हो चुकी है वहां किसानों ने रीपर मारकर धान के अवशेषों को पराली की गांठें बनाने योग्य तो कर दिया है, लेकिन बेलरों की कमी चलते ये अवशेष खेतों में ही पड़े हैं। किसान बढ़ी हुई गर्मी को राहत मान रहे हैं।

 

उनका कहना है कि अगर इन दिनों में मौसम ठीक होता और बेलर न मिल रहे होते तो हम इसे आग लगा चुके होते लेकिन गर्मी के कारण हम भी गेहूं की बुआई के लिए रुके हुए हैं और बेलर मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

 

गर्मी के कारण पिछड़ गई थी धान की रोपाई

जून-जुलाई में भी भारी गर्मी के कारण धान की रोपाई भी पिछड़ गई थीं। यहां तक कि जिन किसानों ने धान की रोपाई कर दी थी उनको भी दोबारा करनी पड़ी, क्योंकि ज्यादा गर्मी के कारण धान की पनीरी पनप नहीं सकी। यही हाल अब गेहूं का हो रहा है। नवंबर महीने में भी इतनी गर्मी नहीं पड़ रही है कि तापमान 32 डिग्री सेल्सियस तक चल रहा है।

 

15 नवंबर तक हो जाती है गेहूं की बुआई

इन दिनों किसान गेहूं की बुआई का काम आधा खत्म कर लेते हैं और 15 नवंबर तक पूरे पंजाब में ही गेहूं की बुआई हो जाती है लेकिन मालवा पट्टी में तो अभी धान की कटाई भी पूरी नहीं हुई है।

 

मुक्तसर, बठिंडा आदि जिलों में काफी मात्रा में धान अभी खेतों में खड़ा है और आने वाले दस दिन में भी यह कटाई पूरी होनी संभव दिखाई नहीं पड़ रही है। साफ है कि धान की तरह गेहूं की बुआई में भी देरी होगी।

 

र्मी के बीच गेहूं की बुआई से उठाना पड़ सकता है नुकसान

कृषि विभाग के पूर्व कमिश्नर डॉ. बलविंदर सिंह सिद्धू मानते हैं कि यह मौसम में आ रही तबदीलियों के कारण हो रहा है। बीते कल ही मौसम विभाग ने कहा है कि अक्टूबर महीना 1901 से लेकर अब तक सबसे ज्यादा गर्म रहा है। इस महीने में तापमान औसतन 1.85 डिग्री ज्यादा चल रहा है।

 

डॉ. सिद्धू ने कहा कि पंजाब में पुराने बुजुर्ग गेहूं की बुआई तब करते थे जब हलकी ठंड पड़ने लगती थी। इससे गेहूं की जर्मिनेशन में कोई दिक्कत नहीं आती थी। आज अगर किसान गर्मी के कारण गेहूं की बुआई करने से कतरा रहे हैं तो वह सही कर रहे हैं।

 

अगर उन्होंने गर्मी के बीच गेहूं की बुआई करने में तेजी दिखाई तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि दिन और रात के तापमान में बहुत ज्यादा अंतर आया हुआ है जो सही नहीं है। डॉ. सिद्धू ने कहा कि मार्च-अप्रैल महीने में अगर तापमान नहीं बढ़ा तो गेहूं की पैदावार में कोई खास अंतर नहीं आएगा।
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