ब्लाक खुईखेड़ा में 72 महिलाओं की हुई स्तन कैंसर स्क्रिनिग जांच

ब्लाक खुईखेड़ा में 72 महिलाओं की हुई स्तन कैंसर स्क्रिनिग जांच

फाजिल्का, 5 जनवरी- ब्लाक खुईखेड़ा के विभिन्न इलाकों में सेहत विभाग की तरफ से महिलाओं की स्तन कैंसर स्क्रीनिंग जांच शुरू कर दी गई है और इनकी मौके पर ही रिपोर्ट दी जा रही है ताकि उसका समय से इलाज शुरू हो सके। सीनियर मेडीकल अफ़सर डॉ। विकास गांधी की देखरेख में ब्लाक खुईखेड़ा में […]

फाजिल्का, 5 जनवरी- ब्लाक खुईखेड़ा के विभिन्न इलाकों में सेहत विभाग की तरफ से महिलाओं की स्तन कैंसर स्क्रीनिंग जांच शुरू कर दी गई है और इनकी मौके पर ही रिपोर्ट दी जा रही है ताकि उसका समय से इलाज शुरू हो सके। सीनियर मेडीकल अफ़सर डॉ। विकास गांधी की देखरेख में ब्लाक खुईखेड़ा में तीन दिन विभिन्न गावों में उक़त स्क्रीनिंग की गई।
ब्लाक मास मीडिया इंचार्ज सुशील कुमार ने बताया कि निरमई संस्था जो कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम में पंजाब सरकार के साथ काम कर रही है। स्क्रीनिंग कैंप के लिए संपर्क रहित स्तन कैंसर जांच की पेशकश करने वाला पहला राज्य बनने के लिए पंजाब ने निरमई के साथ साझेदारी की है।
उन्होंने कहा कि इस को लेकर पहले ही सिविल सर्जन ने जिले के सभी आशा फैसिलिटेटर ओर आशा वर्करों को हिदायत जारी की थी कि हर गांव में आशा वर्कर सर्वे करे ताकि सही डाटा इकट्ठा हो सके फिर कैंप में उनको फायदा मिल सके। 3 जनवरी से 5 जनवरी तक ब्लॉक खुईखेड़ा के गाँव खियोवाली ढाब, किल्लियाँवली व कल्लरखेड़ा में जाँच कैम्प लगाया गया। जिसमें इलाक़े की क़रीब 72 महिलाओं की जाँच की गई।
एसएमओ डॉ। गांधी ने कहा कि महिला में छाती का कैंसर काफी होता है। जिसके लिए समय पर स्क्रीनिंग और इलाज की जरूरत होती है। जिससे महिला की जान बचाई जा सकती है। इसके लिए जागरूकता बहुत जरूरी है इसलिए गांव स्तर पर आशा वर्कर को ट्रेनिंग दी गई है। संस्था निरमई के नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसੑआधारित, विकिरणੑमुक्त, स्वचालित, गैरੑआक्रामक स्तन स्वास्थ्य स्क्रीनिंग परीक्षण को थर्मलीटिक्सटीएम कहा जाता है। यह एक स्पर्श रहित, बिना दर्द वाला, एक विकिरणੑमुक्त गोपनीयताੑसंवेदनशील स्क्रीनिंग परीक्षण है जो सभी आयु वर्ग की महिलाओं के लिए प्रारंभिक चरण में स्तन कैंसर का पता लगाता है, चाहे लक्षणयुक्त हों या स्पर्शोन्मुख हो। उन्होंने बताया कि कैंप में जांच के बाद मेमोग्राफ की जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि एक अल्ट्रा साउंड और एक बॉइप्सी की जांच होगी। इस विधि से कोई रेडिएशन नही है जिससे गर्भवती और बच्चे को दूध पिलाने वाली महिला भी इस जांच को करवा सकती है। इस एडवांस तकनीक से गेंहू के दाने जितनी भी गांठ भी रिपोर्ट में आ जाएगी। रेड रिपोर्ट आने पर मरीज की जांच और इलाज शुरू होगा जो की सरकार की तरफ से मुफ्त किया जायेगा।

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