15.5 C
Punjab

उत्तरकाशी टनल में मजदूरों को दोबारा भेजा खाना: ऑगर मशीन से ड्रिलिंग की तैयारी, 10 दिन से फंसे 41 मजदूर

Uttarkashi tunnel accident उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में 10 दिन से फंसे 41 मजदूरों के लिए मंगलवार दोपहर सेब और संतरे भेजे गए हैं। इससे पहले उन्हें 24 बोतलों में गर्म खिचड़ी और दाल भेजी गई थी।

ऑगर मशीन शुरू करने की भी तैयारी की जा रही है। टनल के अंदर भेजने के लिए ऑगर मशीन में पांचवां पाइप जोड़ा जा रहा है। इस मशीन के चलने से रेस्क्यू सबसे जल्दी पूरा हो सकता है। ऑगर मशीन 19 नवंबर की दोपहर से बंद है।

मंगलवार सुबह 3 बजकर 52 मिनट पर अंदर फंसे मजदूरों का पहला फुटेज सामने आया। 6 इंच चौड़ी नई पाइपलाइन के जरिए एंडोस्कोपिक कैमरा अंदर भेजा गया। इसी से मजदूरों से बात हुई। उनकी गिनती भी की गई। सभी मजदूर सुरक्षित हैं।

मजदूरों की हर एक्टिविटी का पता लगाने के लिए अब दिल्ली से हाईटेक CCTV मंगाए जा रहे हैं। उनको अंदर भेजकर मजदूरों से सेट करवाया जाएगा।

सोमवार को रेस्क्यू ऑपरेशन में दो अहम सफलता मिली। पहली, 6 इंच चौड़ी नई पाइपलाइन डाली गई। दूसरी, ऑगर मशीन के साथ काम कर रहे मजदूरों को किसी अनहोनी से बचाने के लिए रेस्क्यू टनल बनाई जा चुकी है।

एक्सपर्ट ने अंदर फंसे लोगों से क्या कहा…

एक्सपर्ट: वॉकी-टॉकी को ऑन करें।
एक्सपर्ट: शबा जी वॉकी टॉकी को ऑन करें।
एक्सपर्ट: शबा आवाज आ रही है क्या?
एक्सपर्ट: सभी खुश लग रहे हैं, हंस रहे हैं। पाइप पर पानी डाला तो खुल गया। वहां धूल क्यों दिख रही है। उसे बोलो कैमरे के स्क्रीन को थोड़ा रूमाल या कपड़े से साफ करे।
एक्सपर्ट: कैमरे पर सभी लोगों को दिखाओ। एक-एक करके गिनती करके साइड हो।
एक्सपर्ट: शबा जी आप पाइप के पास आकर वॉकी-टॉकी से बात करें। अब कैमरा बंद कर रहे हैं। कंप्रेसर से पीछे हट जाएं।

आज 4 फ्रंट पर काम हो सकता है…

  1. सिलक्यारा यानी टनल के एंट्री पॉइंट की तरफ से ऑगर मशीन की ड्रिलिंग शुरू हो सकती है।
  2. डंडालगांव की ओर से टनल में THDCIL की ड्रिलिंग शुरू हो सकती है। मशीनें पहुंच गई हैं।
  3. डंडालगांव की ओर से ही ओएनजीसी की वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हो सकती है। सर्वे पूरा हो गया है।
  4. आरवीएनल ने सिलक्यारा के पास वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए जमीन में पानी और पत्थरों की जांच कर ली है। मशीनें आज शाम तक पहुंचेगी तो बुधवार से ड्रिलिंग शुरू हो सकती है।

ग्रीन कॉरिडोर से आएंगी दो रिगिंग मशीनें

गुजरात के बलसाड़ और ओडिशा के हीराकुंड से 2 हैवी पाइलिंग रिग मशीनें वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए आज शाम सिलक्यारा पहुंचेंगी। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से इन्हें जल्द पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाने का निर्देश दिया है। मंगलवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी को फोन कर रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ली।

इंटरनेशनल एकस्पर्ट बोले- हम सबको बाहर निकाल लेंगे

ऑस्ट्रेलिया से आए इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट ऑर्नल्ड डिक्स ने मंगलवार सुबह रेस्क्यू ऑपेरशन की प्रोगेस पर संतोष जताया और कहा कि हम सभी लोगों को बाहर निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्टिकल ड्रिलिंग सटीक होनी काफी अहम है। वह आज वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग का भी जायजा लेंगे।

रोबोट ‘दक्ष’ और माइक्रो ड्रोन भी रास्ता ढूंढ़ रहे
9वें दिन पहाड़ में तीन जगह ड्रिलिंग की गई। टनल के दूसरे मुहाने पर टीएचडीसी ने हल्के ब्लास्ट के जरिए 880 मी. टनल बनानी शुरू की है। दूसरी ड्रिलिंग पुरानी जगह हुई। तीसरी टनल के साइड थे। 84 मी. वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारी हो गई है। डीआरडीओ के माइक्रो ड्रोन और रोबोट दक्ष भी मलबे और टनल लाइनिंग के बीच के स्पेस से रास्ता ढूंढ रहे हैं।

READ ALSO : लुधियाना में एक युवक को कार ने मारी टक्कर, हाथ कट गया, सड़क पर तड़प रहा था, राहगीर ने पहुंचाया अस्पताल.

अब तक क्या हुआ?

20 नवंबर: इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट ऑर्नल्ड डिक्स ने उत्तरकाशी पहुंचकर सर्वे किया और वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए 2 स्पॉट फाइनल किए। मजदूरों को खाना देने के लिए 6 इंच की नई पाइपलाइन डालने में सफलता मिली। ऑगर मशीन के साथ काम कर रहे मजदूरों के रेस्क्यू के लिए रेस्क्यू टनल बनाई गई। BRO ने सिलक्यारा के पास वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए सड़क बनाने का काम पूरा किया।

19 नवंबर: सुबह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड CM पुष्कर धामी उत्तरकाशी पहुंचे, रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया और फंसे लोगों के परिजनों को आश्वासन दिया। शाम चार बजे सिलक्यारा एंड से ड्रिलिंग दोबारा शुरू हुई। खाना पहुंचाने के लिए एक और टनल बनाने की शुरुआत हुई। टनल में जहां से मलबा गिरा है, वहां से छोटा रोबोट भेजकर खाना भेजने या रेस्क्यू टनल बनाने का प्लान बना।

18 नवंबर: दिनभर ड्रिलिंग का काम रुका रहा। खाने की कमी से फंसे मजदूरों ने कमजोरी की शिकायत की। PMO के सलाहकार भास्कर खुल्बे और डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल उत्तरकाशी पहुंचे। पांच जगहों से ड्रिलिंग की योजना बनी।

17 नवंबर: सुबह दो मजदूरों की तबीयत बिगड़ी। उन्हें दवा दी गई। दोपहर 12 बजे हैवी ऑगर मशीन के रास्ते में पत्थर आने से ड्रिलिंग रुकी। मशीन से टनल के अंदर 24 मीटर पाइप डाला गया। नई ऑगर मशीन रात में इंदौर से देहरादून पहुंची, जिसे उत्तरकाशी के लिए भेजा गया। रात में टनल को दूसरी जगह से ऊपर से काटकर फंसे लोगों को निकालने के लिए सर्वे किया गया।

16 नवंबर: 200 हॉर्स पावर वाली हैवी अमेरिकन ड्रिलिंग मशीन ऑगर का इंस्टॉलेशन पूरा हुआ। शाम 8 बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू हुआ। रात में टनल के अंदर 18 मीटर पाइप डाले गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन की रिव्यू मीटिंग की।

15 नवंबर: रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत कुछ देर ड्रिल करने के बाद ऑगर मशीन के कुछ पार्ट्स खराब हो गए। टनल के बाहर मजदूरों की पुलिस से झड़प हुई। वे रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी से नाराज थे। PMO के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली से एयरफोर्स का हरक्यूलिस विमान हैवी ऑगर मशीन लेकर चिल्यानीसौड़ हेलीपैड पहुंचा। ये पार्ट्स विमान में ही फंस गए, जिन्हें तीन घंटे बाद निकाला जा सका।

14 नवंबर: टनल में लगातार मिट्टी धंसने से नॉर्वे और थाईलैंड के एक्सपर्ट्स से सलाह ली गई। ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक को काम में लगाया। लेकिन लगातार मलबा आने से 900 एमएम यानी करीब 35 इंच मोटे पाइप डालकर मजदूरों को बाहर निकालने का प्लान बना। इसके लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक की मदद ली गई लेकिन ये मशीनें भी असफल हो गईं।

13 नवंबर: शाम तक टनल के अंदर से 25 मीटर तक मिट्टी के अंदर पाइप लाइन डाली जाने लगी। दोबारा मलबा आने से 20 मीटर बाद ही काम रोकना पड़ा। तब से मजदूरों को पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन और खाना-पानी मुहैया कराया जा रहा है।

12 नवंबर: सुबह 4 बजे टनल में मलबा गिरना शुरू हुआ तो 5.30 बजे तक मेन गेट से 200 मीटर अंदर तक भारी मात्रा में जमा हो गया। टनल से पानी निकालने के लिए बिछाए गए पाइप ऑक्सीजन, दवा, भोजन और पानी अंदर भेजा जाने लगा। बचाव कार्य में NDRF, ITBP और BRO को लगाया गया। 35 हॉर्स पावर की ऑगर मशीन से 15 मीटर तक मलबा हटा।

12 नवंबर सुबह 4 बजे धंसी टनल
सिलक्यारा टनल हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था। टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी। इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए। रेस्क्यू के दौरान 16 नवंबर को टनल से और पत्थर गिरे जिसकी वजह से मलबा कुल 70 मीटर तक फैला गया। टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं। Uttarkashi tunnel accident

Latest news
- Advertisement -
- Advertisement -
Related news
- Advertisement -