नई दिल्ली। बीते कुछ महीनों में एआई ने काफी तरक्की कर ली है। ऐसे में जहां इसकी मदद से बहुत से क्रिएटिव काम हुए है, वहीं दूसरी तरफ इससे बहुत सी समस्याएं भी पैदा हुई है। साइबर अपराधी को एक नई तकनीकी मिल गई है, जिससे वो लोगों को ठगने का काम करते हैं।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण डीपफेक टेक्नोलॉजी है, जो एक एआई जनरेटेड समस्या है, जिसकी मदद से स्कैमर्स लोगों की फेक इमेज क्रिएट करके उनके जानने वाले लोगों को धोखा देते हैं। क्योंकि यह एक बड़ी समस्या है, इसलिए इससे निपटने के लिए अलग-अलग देशों की सरकारें कदम उठाती रहती है। इसी सिलसिले को जारी रखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने भी EO साइन किया है।
अमेरिका ने दिया कार्यकारी आदेश
- एआई को लेकर अमेरिका ने एक कड़ा कदम उठाया है, जिसमें राष्ट्रपति जो बिडेन ने एक एक्सटेंसिव एग्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन किया है। इस आदेश में यह बताया कि कंपनियां , जो एआई का उपयोग करते हैं, उन्हें इससे जुड़ें संभावित खतरों के बारे में बताना होगा।
- खासकर उन कंपनियों को रिपोर्ट देनी होगी, जिसके तकनीकी का उपयोग आंतकियों द्वारा किया जा सकता है।
- बता दें कि यह आदेश केवल सुरक्षा को और मजबूत करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। लेकिन एआई से बेहतर विकास पाने के लिए प्रावधान भी शामिल हैं।
- किन लोगों के लिए होगा फायदेमंद
- ये EO मुख्य रुप से टेकी और स्टूडेंट्स के लिए फायदेमंद होगा। सबसे पहले अगर स्टूडेंट्स की बात करें तो इसमें STEM स्टूडेंट्स और स्कॉलर्स को 10 मिनट के वीजा इंटरव्यू के लिए अपने होमटाउन के एमबसी जाने की जरूरत नहीं होगी।
- इसके अलावा स्किल लिस्ट को बेहतर बनाने के लिए EO निर्देश वैश्विक श्रम बाजार जरूरतों के साथ तालमेल बिठाने का प्रयास करता है। इसमें अपने मूल देश में 2 साल बिताए बिना भी अन्य वीजा कैटेगरी के लिए तुरंत आवेदन करना शामिल है।