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ठोस सबूत नहीं फिर भी भारतीयों को सुनाई सजा-ए-मौत

कतर ने भारतीय नौसेना के जिन 8 पूर्व अफसरों को मौत की सजा सुनाई है, उनसे पूछताछ के दौरान सख्ती की गई थी। यह खुलासा कतर की राजधानी दोहा में मौजूद सूत्रों ने किया है।

कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी ‘कतर स्टेट सिक्योरिटी’ ने पिछले साल अगस्त में इन पूर्व अफसरों गिरफ्तार किया था।

देर रात गिरफ्तारी हुई थी

  • सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तार किए गए आठ लोगों में एक नाविक भी शामिल है। इन्हें देर रात गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद एक सुरक्षित ठिकाने पर ले जाया गया और सभी से अलग-अलग पूछताछ की गई। पूछताछ का जो तरीका अपनाया गया, वो अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन और गैरकानूनी था।
  • यहां ये जान लेना जरूरी है कि गिरफ्तार किए गए पूर्व भारतीय अफसरों में ज्यादातर की उम्र 60 साल से ज्यादा है और उन्हें सेहत संबंधी दिक्कतें हैं। इसके बावजूद उनसे जो सलूक किया गया, उससे उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गलत असर पड़ा।
  • हालांकि तमाम सख्तियों के बावजूद कतर के अधिकारी भारतीय अधिकारियों से आरोप कबूल नहीं करा सके। ये सभी कतर की कंपनी ‘दाहरा ग्लोबल’ के लिए काम करते थे।
  • विदेश मंत्री से मिलेंगे परिवार
  • नौसेना के इन पूर्व अधिकारियों के परिवार 30 अक्टूबर (सोमवार) को रात 8 बजे विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि इस दौरान पूछताछ में सख्ती समेत कई मुद्दों पर बातचीत होगी। इन परिवारों ने जयशंकर से मुलाकात के लिए कई बार कोशिश की, लेकिन 27 अक्टूबर को पहली बार उन्हें जवाब मिला।
  • हैरानी की बात ये है कि भारत और कतर की सरकार ने अब तक सार्वजनिक तौर पर ये नहीं बताया है कि 14 महीने से कतर की कैद में मौजूद इन भारतीयों पर आरोप क्या हैं और उन्हें सजा-ए-मौत क्यों सुनाई गई। इतने खुफिया तरीके से हुई सुनवाई और फिर सजा के ऐलान पर न सिर्फ सवालिया निशान लग रहे हैं, बल्कि इसकी आलोचना भी हो रही है।
  • भास्कर ने कतर में दो कानूनी जानकारों से अदालत के दस्तावेजों के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की, लेकिन इन्होंने ‘सरकारी आदेश’ का हवाला देते हुए मदद करने में असमर्थता जताई। अदालत के दस्तावेज न तो सार्वजनिक किए गए हैं और न ही पीड़ित परिवारों को मुहैया कराए गए हैं। मीडिया में कयास लगाए जा रहे हैं कि इन पूर्व अधिकारियों को पनडुब्बी परियोजना से जुड़ी अहम जानकारी लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और बाद में उन्हें सजा-ए-मौत सुनाई गई। यह पनडुब्बी प्रोजेक्ट इटली की एक कंपनी चला रही है।
  • इस मामले में एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि इटली की जिस कंपनी (फिनकेनतिरेई) को प्रोजेक्ट होल्डर बताया जा रहा है, वो इसमें भागीदारी से इनकार कर चुकी है। भास्कर से बातचीत में इस कंपनी की प्रवक्ता मिकेलिया लोंगो ने कहा- मीडिया कतर के प्रोजेक्ट से हमें गलत जोड़ रहा है। हम कतर के लिए कोई पनडुब्बी नहीं बना रहे और न ही हमारे पास ऐसा कोई ठेका है।
  • कतर के पास सबूत नहीं
  • सूत्रों के मुताबिक कतर की एजेंसियों के पास इस बात के कोई ठोस सबूत नहीं है कि भारत के पूर्व नौसेना अधिकारियों ने इजराइल के लिए जासूसी की। इस बात की पुष्टि पूर्व नेवी कमांडर पूर्णेंदु तिवारी के परिवार ने भी की है। तिवारी को 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान मिला था।
  • भास्कर से बातचीत में तिवारी की बहन मीतू भार्गव ने कहा- कतर के पास कथित तौर पर एक ही सबूत है कि इन भारतीयों ने कतर की इंडियन एम्बेसी में तैनात डिफेंस अटाशै (रक्षा मामले देखने वाले अफसर) मोहन अतला से बातचीत की। मोहन को इसी साल जनवरी में इस पोस्ट से हटा दिया गया था। भारत सरकार ने इसके बाद इस पद पर नई तैनाती नहीं की। घटना के वक्त दीपक मित्तल दोहा में भारतीय राजदूत थे। उन्हें भी वापस बुलाया जा चुका है।
  • तिवारी की बहन ने भास्कर से कहा- हम जानते हैं कि भारत सरकार इन आठ लोगों की रिहाई के लिए कोशिश कर रही है। ये बेकसूर होने के बावजूद शारीरिक और मानसिक यातना झेल रहे हैं। कतर के फैसले से दिल टूट गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से अपील करते हैं कि वो वो बिना देर किए इन लोगों की रिहाई के लिए पहल करें, ताकि सभी लोगों को भारत वापस लाया जा सके।
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